Friday, August 31, 2012

ताल

ताल - मात्राओं  के समूह  को    भारतीय संगीत में    ताल  कहते  हैं .
हर ताल कुछ निश्चित संख्या के अंकों ( numbers ) से बनी होती है .
इन्हीं अंकों को मात्रा नाम दिया गया है ,क्यों ? -
क्योंकि मात्रा शब्द हिंदी भाषा का शब्द है ,जों किसी भी चीज़ को नापने के काम आता है या quantity बताने के काम आता है .
ताल में यही मात्रा शब्द ताल की लम्बाई का अनुमान लगाने के काम आता है ,उदहारण के लिए -तीनताल मे 16 मात्रा होती है तथा दादरा ताल मे 6 मात्रा होती है अतः यह अनुमान लगाना सरल हो जाता है कि तीनताल दादरा ताल से बड़ी ताल है .
 जों काम एक चित्रकार का उसका केनवास करता है वही काम संगीत के विद्यार्थी  के लिए ताल  करती है
ताल  एक तरह का frame है या ढांचा है जिसमे गीत ,संगीत या नृत्य के बोल फिट किये जाते है ,इस तरह गीत का एक स्वरुप या rough ढांचा हमें मिलता जिसमें लय की सहायता से फिनिशिंग टच (touch ) दिया जाता है ,लय जितनी correct होगी  ताल के frame में तैयार गीत के rough ढाँचे  की खूबसूरती उतनी ही ज्यादा होगी
, ताल जों फ्रेम है उस फ्रेम कों लय की सहायता से छोटा या बड़ा किया जा सकता है.
ताल -concrete   है , लय  abstract   है .
ताल को समझना और प्रस्तुत करना जितना सरल है  लय को समझना उतना ही कठिन है ,एक कलाकार का लय पर जितना  अधिक अधिकार होगा उसकी कला का जादू उतना ही कारगर  सिद्ध होगा .
इसे उदहारण द्वारा समझना हो तो -नृत्य में पंडित बिरजू महाराज और गायन में लता मंगेशकर का जों  जादू  दशकों से संगीत जगत में  छाया है उसमें इन दोनों कलाकारों का अपनी- अपनी कला  के क्षेत्र में अन्य अनेक विशिष्टताओं के अलावा इन  दोनों कालजयी कलाकारों का लय पर असामान्य अधिकार होना है ,लता मंगेशकर सुरीली है मीठी आवाज़ है उनकी आवाज़ की ranze बहुत ज्यादा है आदि आदि के अलावा उनके शब्दों के उच्चारण में जों लयकारी छिपी है वो उन्हें लता मंगेशकर बनाती है .यदि किसी नए उभरते कलाकार को कोई कहे :"अरे ,आप तो स्वर कोकिला है" उसे  बहुत ख़ुशी होगी मगर उसे कहो "अरे आप तो लता मंगेशकर हैं "तो फ़िर तो उसे जीते जी ही जन्नत मिल जाएगी ,लता मंगेशकर के नाम में जों जादू है वो उनकी लयपर अपने  असाधारण अधिकार  के कारण ही है ( Although I am  not the right person to comment on these artist ,for me their art knows no boundry ,no words can define their art.So I am sorry to give their example but I could not resist myself ).----

 जिसने भी उनकी कला का साक्षात्कार किया किसी भी कारण से तथा किसी भी मन से उसके अंतर्मन के उन अंधियारों कोनो में रौशनी चमक उठी  जिन कोनों का उसे खुद भी कभी भान नहीं था.

अतः लय संगीत की आत्मा है .
जिस कलाकार का लय पर अधिकार है वो कला के क्षेत्र मैं  नए -नए ब्रह्मांडों की रचना कर सकता है और करता है .

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