Saturday, September 15, 2012

वक्त को अहसास होने दो
जो खास है आज उसकी बात होने दो .
बनाकर रोज़ लकीरें मिटाता है वो दूसरों की
आज आईने से उसकी पहचान होने दो .
रात के घने अँधेरे में उजाले की बात करते ही हैं
कभी दिन के उजाले कों भी सलाम का अहसास होने दो.
आवाज़ न दो दिलबर की तासीर है दिल को घर बनाता नहीं
वो जहाँ जाए बस उसे ही दिल बनकर धडकने दो.

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