Sunday, November 8, 2009

हाले दिल

हाले दिल सुनाएँ तो सुनाएँ कैसे
तेरी आँख का हर आंसू समंदर है
उतरेंगे तो पार आयेंगे कैसे ।

जाते हुए लम्हों में तेरा पता पूछें या
आते हुए लम्हों में तुझे ढूढें
जिंदगी कुछ ऐसी बदहवास है
इसे इसके अंजाम तक पहुंचाएं तो पहुंचाएं कैसे ।

मंजिल भी तू है और राह भी तू
अपनी इस नादानी से पीछा छुडाएं तो छुडाएं कैसे।

दर्द बनकर तू उठता है और दवा भी तू है
ये मर्ज लाइलाज है पर लाइलाज कह कर इसे छोडें तो छोडें कैसे .




a

No comments:

Post a Comment