तुझे भूल जाने के हजारों कारण थे
लाखों करोड़ों और अरबों फायदे
और नादान मैं भी नहीं थी
तुझे भूलने के हर कारण को समझती
फायदों को गले लगाती
मैं बुद्धिमान चल पड़ी
तुझसे दूर (एक अंतहीन यात्रा पर )
नासमझ दुनिया मुझे कह उठी----
तेरी "अभिसारिका "!
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