माना की तू आंधी है
मेरे हर क्षितिज को ढकती
पर मैं भी इस सहारा में बिछी रेत नहीं हूँ ।
शौक होगा तेरा रोकना, रास्ता मेरा
पर मेरा सन्नाटा भी जानता है
तुझे अपनी साँसों में खींचना ,
रोज ये आसमान तेरी ताकत को मिटटी होते देखता है
और मैं तुझ पर पाँव धर
चल देती हूँ
अपने क्षितिज की ओर ।
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nice
ReplyDeleteI m in search of ANNSHU PARIHAR of Balaghat MP,
r u same?