Sunday, November 8, 2009

बदली

न रुक, तू बरसती जा बदली।
पिया से कह कहीं न जा बदली।।

डगर न अब कोई मैं चाहूँ बदली।
पिया संग सब बिसार दूँ बदली।।

रहे न कोई ख्वाब अब ख्वाब बदली।
हकीकत मैं उनको तू यूँ ढाल बदली।।

न हो कोई आईना और श्रृगार बदली ।
पिया के हों नैन और बस मुस्कान बदली।।

न जागूँ न हो कोई सवेरा बदली।
पिया की बाहों मैं यूँ छुप जाऊं मैं बदली।।

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