Sunday, November 8, 2009

नजर

बेखौफ नजर महबूब की
कर गयी शिकार
गया दिल हार
ढह गयी हर दीवार
खिल गयी सारी कायनात
न रहा दर्पण न रहा श्रृंगार
कदम बढ़ा पत्थरों पे और कर ले विहार

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