Tuesday, November 24, 2009

तेरी यादें

कब की तेरी यादें
पतझड़ हुईं
बनी फ़िर खाद
हंसते इन फूलों को तू
क्यों देख हुआ उदास ?
खिले -खिले इन फूलों में
खिली होगी तेरी ही कोई याद
हंसकर साथ देख इनके
याद आ जाएगी तुझे ,
तेरी अपनी ही कोई बात !

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